बेफ़िक ज़िंदगी: बचपन - ( Riddhi Madane) रिद्धी मदने - (Grade 9) कक्षा ९ - (Pune, India) पुणे, भारत
बचपन एक अनमोल यादों का भंडार,
जिसकी कहानी थी कुछ अलग,
न चिंता, न कोई बोझ,
बस सपनों की अपनी ही उड़ान।
बचपन जैसे गर्म दोपहरी में पेड़ की छाँव,
सूरज ढले तो चाँदनी की ठंडक,
अंधकार में भी अपनी ही एक रोशनी।
सच कहूँ, सुकून था मेरा बचपन, जहाँ हर
लम्हा था एक नई मुस्कान। बचपन में बचपना
करना सबसे अनोखी थी वो पहचान।
खुशियों के पीछे भागना कहाँ आता था हमें?
वो तो खुद चली आती थी हमारी ओर।
खेलना-कूदना ही था धर्म हमारा, चिंता का
कभी साया भी न पड़ा।
बचपन,
एक ऐसी अमूल्य सौगत,
जिसे जितना जी लो, उतना ही कम लगता।
न कोई बोझ, न कोई उलझन,
बस सपनों की दुनिया और मासूमियत का दामन।

